गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में सोने की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के संकेतों और वैश्विक बाजार में कमजोर रुख का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने का भाव 800 रुपये की गिरावट के साथ 78,300 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया। बुधवार को यह कीमत 79,100 रुपये प्रति 10 ग्राम थी। आइए जानते हैं इस गिरावट के प्रमुख कारण और इसके प्रभाव।
सोने की कीमतों में गिरावट का कारण
सोने की कीमतों में गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व का ब्याज दरों में कटौती का निर्णय है। फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने 2025 के अंत तक केवल दो चौथाई प्रतिशत की दर में कटौती का अनुमान लगाया है, जो कि पहले के चार दरों की कटौती के अनुमान से काफी कम है।
- कम ब्याज दरों का प्रभाव:
जब ब्याज दरें कम होती हैं, तो निवेशक सोने जैसे सुरक्षित विकल्पों में निवेश करते हैं। लेकिन फेड द्वारा ब्याज दरों में धीमी कटौती के संकेत से सोने की मांग पर असर पड़ा। - वैश्विक बाजार का कमजोर रुख:
वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों में गिरावट और आभूषण विक्रेताओं की सुस्त मांग ने भी भारतीय बाजार पर दबाव बनाया।
वायदा बाजार में सोने की स्थिति
वायदा बाजार में भी सोने की कीमतों में गिरावट देखी गई।
- एमसीएक्स पर सोना:
फरवरी डिलीवरी वाले सोने के अनुबंध में 303 रुपये यानी 0.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, और यह 76,350 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया। - कॉमेक्स पर सोना:
एशियाई कारोबारी सत्र में कॉमेक्स पर सोना वायदा 19.10 डॉलर प्रति औंस यानी 0.72 प्रतिशत की गिरावट के साथ 2,634.10 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया।
विशेषज्ञों की राय
सोने की कीमतों में गिरावट को लेकर विशेषज्ञों ने कई महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं।
- एचडीएफसी सिक्योरिटीज:
कमोडिटी विशेषज्ञ सौमिल गांधी के अनुसार, फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की बैठक के बाद सोने में भारी गिरावट दर्ज की गई। फेड ने अगले साल ब्याज दरों में कटौती की गति को धीमा कर दिया है, जिससे सोने की कीमतों पर असर पड़ा। - एबन्स होल्डिंग्स:
चिंतन मेहता का कहना है कि निवेशक अब अमेरिकी साप्ताहिक बेरोजगारी दावों और व्यक्तिगत उपभोग व्यय (PCE) मूल्य सूचकांक के आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं। इन आंकड़ों से श्रम बाजार की स्थिति और महंगाई दर का आकलन किया जाएगा।
भविष्य में कीमतों की संभावना
विशेषज्ञों का मानना है कि सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा।
- अल्पकालिक गिरावट और निवेश का अवसर:
निश भट्ट के अनुसार, यदि ब्याज दरों में कटौती में देरी होती है, तो सोने की कीमतों में अल्पकालिक गिरावट हो सकती है। हालांकि, यह गिरावट निवेशकों के लिए सोने में निवेश का अच्छा अवसर प्रदान कर सकती है। - भू-राजनीतिक स्थिति का प्रभाव:
वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति और अमेरिका में नए प्रशासन के फैसलों से सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।
आभूषण विक्रेताओं की मांग में कमी
सोने की कीमतों में गिरावट का एक अन्य कारण आभूषण विक्रेताओं की सुस्त मांग है। कमजोर वैश्विक रुख और त्योहारी सीजन के बाद मांग में कमी के चलते कीमतों पर दबाव बना।
सोने में निवेश के लिए सलाह
- लंबी अवधि के लिए निवेश:
विशेषज्ञों का मानना है कि सोने में लंबी अवधि के लिए निवेश फायदेमंद हो सकता है। भू-राजनीतिक अस्थिरता और वैश्विक आर्थिक स्थिति के चलते सोने की कीमतें मजबूत बनी रह सकती हैं। - गिरावट के दौरान निवेश:
जब सोने की कीमतों में गिरावट होती है, तो यह निवेशकों के लिए एक अच्छा मौका हो सकता है।
सोने की कीमतों में गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व का ब्याज दरों में कटौती का धीमा रुख और कमजोर वैश्विक बाजार है। विशेषज्ञों का मानना है कि अल्पकालिक उतार-चढ़ाव के बावजूद सोने की कीमतें भविष्य में स्थिर और मजबूत बनी रह सकती हैं।
निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे सोने में निवेश के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाएं और बाजार की स्थितियों पर नजर रखें। भू-राजनीतिक और आर्थिक कारकों को ध्यान में रखते हुए निवेश का निर्णय लेना बेहतर रहेगा।