RBI New Guideline : आज के समय में बैंकिंग हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। बैंक खाता होना अब किसी ऑप्शन की बजाय ज़रूरी सा बन गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बैंक खाते में मिनिमम बैलेंस (Minimum Balance) को लेकर आरबीआई (RBI) के नियम क्या हैं? शायद नहीं! चलिए, आज आपको इन नियमों के बारे में आसान भाषा में बताते हैं।
मिनिमम बैलेंस का मतलब क्या है?
बैंक खातों में एक नियम है कि आपको हमेशा अपने खाते में एक तय राशि रखनी होती है, इसे ही “मिनिमम बैलेंस” कहते हैं। ये नियम इसलिए बनाए गए हैं ताकि बैंकिंग सेवाओं को बनाए रखने में दिक्कत न हो और ग्राहकों को फायदा मिल सके।
रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) बैंकिंग सेक्टर के सभी नियम-कानून बनाता है और यही गाइड करता है कि बैंकों को अपने ग्राहकों के साथ किस तरह से व्यवहार करना चाहिए। मिनिमम बैलेंस के जुर्माने से जुड़े भी RBI के साफ निर्देश हैं।
बैंकों का चार्ज और RBI की गाइडलाइन
अगर आपके खाते में बैलेंस मिनिमम बैलेंस से कम हो जाता है, तो बैंक इस पर चार्ज लगा सकता है। हालांकि, यह चार्ज भी RBI के नियमों के हिसाब से तय होता है। कोई भी बैंक अपनी मर्जी से जितना चाहे उतना जुर्माना नहीं लगा सकता।
RBI यह भी कहता है कि अगर आपके खाते में मिनिमम बैलेंस नहीं है, तो बैंक को पहले 30 दिन का समय देना होगा। इसी दौरान, बैंक आपको ईमेल या मैसेज के जरिए जानकारी देगा ताकि आप बैलेंस मेंटेन कर सकें। अगर इतने समय में भी बैलेंस मेंटेन नहीं किया गया तो बैंक जुर्माना ले सकता है।
बैंकों का व्यवहार और आपकी जिम्मेदारी
हम में से कई बार ऐसा होता है कि हम एक से ज्यादा बैंक अकाउंट खुलवा लेते हैं, लेकिन उन्हें एक्टिव रखना भूल जाते हैं। ऐसे में मिनिमम बैलेंस न रखने पर बैंक जुर्माना लगा देते हैं। पिछले 5 सालों में सरकारी बैंकों ने इसी जुर्माने के जरिए 8,500 करोड़ रुपये ग्राहकों से वसूल लिए हैं।
कुछ केस में तो बैंक आपके खाते को माइनस में भी ले जाते हैं। लेकिन ध्यान रखें, RBI के सख्त नियमों के तहत ऐसा करना गलत है।
मिनिमम बैलेंस की राशि
मिनिमम बैलेंस की राशि हर बैंक के हिसाब से अलग होती है। यह बैंक की लोकेशन यानी ग्रामीण इलाकों, शहरी इलाकों और महानगरों के हिसाब से भी बदलता है। जैसे, ग्रामीण इलाकों में मिनिमम बैलेंस कम होता है, वहीं शहरी इलाकों और मेट्रो सिटी में यह ज्यादा हो सकता है।
क्या करें अगर आपका अकाउंट जीरो बैलेंस है?
अब सवाल आता है कि अगर आपके खाते में कोई बैलेंस नहीं है और बैंक ने उसे माइनस में दिखा दिया तो क्या करें?
- डरे नहीं: RBI के नियमों के मुताबिक, बैंक आपका बैलेंस माइनस में नहीं ले जा सकते।
- शिकायत दर्ज करें: अगर ऐसा होता है, तो आप RBI की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर शिकायत दर्ज कर सकते हैं या मेल लिख सकते हैं।
- कार्यवाई का भरोसा: RBI ऐसी शिकायतों को गंभीरता से लेता है और बैंक के खिलाफ एक्शन भी लेता है।
जीरो बैलेंस अकाउंट वाले फायदे में
कुछ खास बैंक अकाउंट्स में मिनिमम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं होती। जैसे:
- सैलरी अकाउंट: अगर आप नौकरी करते हैं, तो अपना अकाउंट सैलरी अकाउंट में बदलवाकर इस झंझट से बच सकते हैं।
- जन धन अकाउंट: इन अकाउंट्स में भी बैलेंस बनाए रखने की अनिवार्यता नहीं होती। ये खाता खासतौर पर उन लोगों के लिए है जो अपनी बैंकिंग सुविधाओं पर कोई वित्तीय दबाव नहीं चाहते।
बैंकिंग की कुछ और बातें
आजकल अधिकांश लोग बैंकिंग का काम मोबाइल या डिजिटल प्लेटफॉर्म्स जैसे UPI के जरिए करते हैं। हालांकि, कुछ काम अभी भी बैंक जाकर ही पूरे किए जाते हैं। ऐसे में अपने खाते और उसके नियमों की जानकारी रखना बेहद जरूरी हो जाता है।
कैसे बचें जुर्माने से?
- अगर आपके पास कई बैंक खाते हैं और सभी को मेंटेन करना मुश्किल हो रहा है, तो गैर-ज़रूरी खातों को बंद कर दें।
- सैलरी या जीरो बैलेंस अकाउंट के विकल्प को चुनें।
- समय-समय पर अपने खाते की स्थिति चेक करते रहें ताकि मिनिमम बैलेंस मेंटेन करने में दिक्कत न हो।
अगर बैंक कोई गलत चार्ज लगा रहा है या आपकी जानकारी के बिना बैलेंस काट रहा है, तो इसका सीधा मतलब है कि आप इसके खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। ऐसे मामलों में, RBI आपका सबसे बड़ा सहारा है। आप ऑनलाइन इसकी शिकायत कर सकते हैं।
तो दोस्तों, अब जब आप RBI के इन नियमों को जान गए हैं, तो अपने खाते का ध्यान रखें और जरूरत पड़ने पर अपनी आवाज जरूर उठाएं। बैंकिंग आसान भी है और सुरक्षित भी, बस थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है।