RBI Cibil Score Rules – क्रेडिट स्कोर या सिबिल स्कोर आजकल सिर्फ दो अंक नहीं हैं, बल्कि ये लोगों की जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गए हैं। ये अंक हमारे बैंकिंग लेन-देन का एक प्रतिबिंब हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एक प्राइवेट संस्था हमारे सिबिल स्कोर (CIBIL score) की गणना करती है। इसके अलावा, आरबीआई ने सिबिल स्कोर से जुड़ी छह नए नियम भी बना दिए हैं, जो करोड़ों बैंक ग्राहकों के लिए जानना जरूरी हैं।
Reserve Bank of India
सिबिल स्कोर एक तीन अंकों का नंबर है, जो यह तय करता है कि आपको बैंक से लोन मिलेगा या नहीं। यह स्कोर कई चीजों पर निर्भर करता है। सबसे पहले, जब आप बैंक से लोन लेते हैं या किसी चीज़ को ईएमआई पर खरीदते हैं, तो यह देखता है कि आप समय पर भुगतान कर रहे हैं या नहीं। इसी आधार पर आपका सिबिल स्कोर बनता है।
इसके अलावा, आपके बिलों का भुगतान भी सिबिल स्कोर को प्रभावित करता है। सिबिल स्कोर के लिए आरबीआई ने 6 नियम बनाए हैं, जो उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद हैं।
असल में, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को CIBIL Score के बारे में कई शिकायतें मिली थीं, जिसके चलते पहले 5 नियम बनाए गए थे। अब एक और नियम जोड़ा गया है, जिससे कुल मिलाकर 6 नियम बन गए हैं। इन नियमों को जानना आपके लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे आप अपना सिबिल स्कोर बेहतर बना सकते हैं। अच्छा सिबिल स्कोर रखना महत्वपूर्ण है।
RBI का पहला नियम
आरबीआई के पहले नियम के तहत हर 15 दिन में सिबिल स्कोर यानी क्रेडिट स्कोर को अपडेट किया जाएगा। यह नियम जनवरी के पहले दिन से लागू होगा। आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि बैंक और लोन देने वाली कंपनियों को हर 15 दिन में सिबिल डेटा को अपडेट करना होगा। इसे सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया गया है। आरबीआई के गवर्नर ने इस बात की घोषणा की थी। उपभोक्ताओं का सिबिल स्कोर हर महीने की 15 तारीख और महीने के अंत में अपडेट किया जा सकता है। क्रेडिट संस्थान और क्रेडिट सूचना कंपनियां अपनी सुविधानुसार तिथियां तय कर सकती हैं। क्रेडिट संस्थानों को उपभोक्ता की सिबिल जानकारी हर महीने सीआईसी को देना अनिवार्य होगा।
भारतीय रिजर्व बैंक का दूसरा नियम
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का दूसरा नियम यह है कि जब भी कोई बैंक या लोन देने वाली कंपनी किसी उपभोक्ता की क्रेडिट रिपोर्ट की जांच करती है, तो उसे उस उपभोक्ता को क्रेडिट स्कोर की जानकारी भेजनी होगी। यह जानकारी ईमेल या मेसेज के जरिए दी जा सकती है। यह नियम आरबीआई ने लगातार मिल रही शिकायतों के मद्देनजर बनाया है।
सिबिल स्कोर के लिए RBI का तीसरा नियम
आरबीआई का तीसरा नियम यह कहता है कि अगर किसी उपभोक्ता की रिक्वेस्ट को अस्वीकार किया जाता है, तो इसके पीछे का कारण बताना जरूरी है। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, उपभोक्ता की किसी भी रिक्वेस्ट को बिना कारण बताए नहीं ठुकराया जा सकता। उपभोक्ता को अस्वीकार करने के कारण स्पष्ट करने होंगे।
सिबिल स्कोर से जुड़ा चौथा नियम
आरबीआई के चौथे नियम के अनुसार, सिबिल या क्रेडिट कंपनियों को हर साल एक बार अपने ग्राहकों को मुफ्त में पूरा क्रेडिट स्कोर बताना होगा। इसके लिए कंपनियों को अपनी वेबसाइट पर एक लिंक या विंडो लगानी होगी, जिससे ग्राहक अपने साल भर के सिबिल स्कोर और क्रेडिट हिस्ट्री को देख सकें।
नोडल अधिकारी की आवश्यकता
आरबीआई के नियमों के मुताबिक, अगर किसी ग्राहक की डिफॉल्ट रिपोर्ट बनाई जा रही है, तो इसकी जानकारी पहले ग्राहक को देनी होगी। इसके बाद ही कोई कार्रवाई की जा सकती है। यह जानकारी बैंक आदि मैसेज या ईमेल के जरिए भेज सकते हैं। इसके साथ ही, बैंकों में क्रेडिट स्कोर से जुड़ी जानकारियों और समस्याओं के लिए नोडल अधिकारी होना जरूरी है।
RBI का नया नियम, हर दिन देना होगा जुर्माना
आरबीआई के मुताबिक, क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी को 30 दिनों के भीतर शिकायतों का समाधान करना होगा। अगर 30 दिन में शिकायत का निपटारा नहीं होता है, तो हर दिन 100 रुपये का जुर्माना लगेगा। लोन देने वाली कंपनी को 21 दिन के अंदर अपनी शिकायतें सुलझानी होंगी। इसके बाद क्रेडिट ब्यूरो को 9 दिन का समय मिलेगा। अगर बैंक 21 दिन के भीतर समाधान के लिए क्रेडिट ब्यूरो को मामला नहीं भेजता, तो उस पर जुर्माना लगेगा। और अगर क्रेडिट ब्यूरो 9 दिन में शिकायत का निपटारा नहीं करता, तो उस पर भी जुर्माना लगाया जाएगा।