सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: अब घर की EMI और चेक बाउंस पर नहीं होगी कार्रवाई Supreme Court Decision On EMI

Supreme Court Decision On EMI : हर किसी का सपना होता है कि उसका खुद का घर हो। होम लोन और बैंकों की मदद से यह सपना पूरा भी होता है। लेकिन कभी-कभी कुछ परेशानियां आ जाती हैं जैसे घर, फ्लैट या मकान का कब्जा न मिलना। साथ ही, इन सबके बीच ईएमआई (EMI) का बोझ अलग से परेशान करता है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस मुद्दे पर एक बड़ा फैसला दिया है जो घर खरीदने वालों के लिए राहत लेकर आया है।

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया है कि अगर ईएमआई नहीं चुकाई जाती है या चेक बाउंस हो जाता है, तो उस पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होगी। इससे उन लोगों को बड़ी राहत मिली है, जो अपने फ्लैट या मकान का कब्जा मिलने के इंतजार में हैं। कोर्ट ने कहा कि बैंकों या बिल्डरों की तरफ से घर खरीदने वालों के खिलाफ परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) की धारा 138 के तहत शिकायत दर्ज नहीं की जाएगी।

एनसीआर के घर खरीदारों को राहत

यह मामला खासतौर पर नेशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) के उन घर खरीदने वालों के लिए अहम है, जो लंबे समय से फ्लैट पर कब्जा नहीं मिलने की वजह से परेशान हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जब तक ग्राहकों को फ्लैट का कब्जा नहीं मिलता, तब तक ईएमआई चुकाने और चेक बाउंस जैसे मामलों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

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हाईकोर्ट के आदेश को पलटा

यह मामला पहले दिल्ली हाईकोर्ट में उठा था। मकान खरीदने वाले लोगों ने याचिका दाखिल की थी कि बैंकों और फाइनेंशियल कंपनियों को निर्देश दिए जाएं कि जब तक बिल्डर उनके फ्लैट का कब्जा न दे, तब तक वे ईएमआई न वसूलें। हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी थी।

हाईकोर्ट के फैसले से निराश घर खरीददारों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया।

सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने की। सुप्रीम कोर्ट ने न केवल हाईकोर्ट के आदेश को पलटा, बल्कि बैंकों और बिल्डरों के खिलाफ नोटिस भी जारी किए। 15 जुलाई को दिए अपने अंतरिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि घर खरीदारों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी।

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अदालत ने कहा कि कई बैंकों ने अपने जवाब दाखिल कर दिए हैं, जबकि जिन बैंकों ने जवाब नहीं दिया है, उन्हें ऐसा करने के लिए दो हफ्तों का समय दिया गया। अदालत ने यह भी साफ कर दिया कि जब तक इस मामले में अंतिम फैसला नहीं आता, तब तक कोई भी कार्रवाई नहीं होगी।

हाईकोर्ट ने क्या कहा था

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि मकान खरीदने वालों के पास अन्य विकल्प हैं। हाईकोर्ट ने याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट का मानना था कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट (RERA) जैसे कई कानून पहले से मौजूद हैं, जिनके तहत मकान खरीदने वाले अपनी समस्याओं का समाधान खोज सकते हैं।

मकान खरीदने वालों को बड़ी राहत

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उन मकान खरीदने वालों को बड़ी राहत मिली है, जो बैंकों और बिल्डरों के चक्कर में फंस गए थे। यह फैसला खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो ईएमआई के दबाव में थे और जिनके पास अपने फ्लैट का कब्जा नहीं था।

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आगे की कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए तारीख तय कर दी है। बेंच ने साफ कर दिया है कि अगली सुनवाई तक बैंकों और बिल्डरों के खिलाफ सभी याचिकाओं पर रोक लगी रहेगी।

यह फैसला उन सभी लोगों के लिए उम्मीद की किरण है, जो बिल्डरों और बैंकों की कार्यशैली से परेशान हैं। अब देखना यह है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला क्या होता है। लेकिन फिलहाल, यह आदेश घर खरीदने वालों के लिए राहत लेकर आया है।

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